मोदी सरकार का बड़ा ऐलान, राज्यों को 50 साल के लिए 12,000 करोड़ रुपये के कर्ज देगा केंद्र
केंद्र ने राज्यों को पूंजीगत व्यय बढ़ाने के लिए 12,000 करोड़ रुपये का कर्ज देने की घोषणा की है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि राज्यों की तरह केंद्र के पूंजीगत व्यय में 25,000 करोड़ रुपये का इजाफा किया गया है. (File Image-PIB)
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि राज्यों की तरह केंद्र के पूंजीगत व्यय में 25,000 करोड़ रुपये का इजाफा किया गया है. (File Image-PIB)
केंद्र सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और उसे गति देने के लिए कई बड़ी योजनाओं का ऐलान किया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने केंद्रीय कर्मचारियों को एलटीसी कैश वाउचर स्कीम (LTC cash voucher scheme), स्पेशल फेस्टिवल ए़डवांस स्कीम (Special Festival Advance Scheme) का ऐलान किया. वहीं राज्यों को पूंजीगत व्यय बढ़ाने के लिए 12,000 करोड़ रुपये का कर्ज (Interest Free 50 Year Loan) देने की घोषणा की. यह कर्ज राज्यों को 50 साल के लिए दिया जाएगा और इस कर्ज पर किसी तरह के ब्याज का भुगतान नहीं किया जाएगा.
वित्त मंत्री ने बताया कि किसी भी अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) बहुत आवश्यक होते हैं.
पूंजीगत व्यय का अर्थव्यवस्था पर गुणात्मक असर होता है. इससे वर्तमान सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को बढ़ावा मिलता है. साथ ही भविष्य के सकल घरेलू उत्पाद को बल मिलता है. उन्होंने कहा कि कैपिटल एक्सपेंडिचर से केंद्र और राज्य सरकारों को गति मिलती है.
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We are issuing a special interest-free 50-year loan to states for ₹ 12,000 crore capital expenditure
— PIB India (@PIB_India) October 12, 2020
₹ 200 crore each for 8 North-East states, ₹ 450 crore each Uttarakhand, Himachal Pradesh & ₹ 7,500 crore for remaining states, as per @15thFinCom devolution: FM @nsitharaman pic.twitter.com/PXDIxWZudf
वित्त मंत्री ने बताया कि केंद्र ने 12,000 करोड़ रुपये के कर्ज को तीन हिस्सों में बांटा है. इसके एक हिस्से में नॉर्थ-ईस्ट राज्यों को 1600 करोड़ और उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश को 900 करोड़ रुपये दिए जाएंगे. 7500 करोड़ रुपये शेष राज्यों के लिए रखे गए हैं और तीसरे हिस्से के रूप में उल्लेखनीय कार्य करने वाले राज्यों को अलग से 2000 करोड़ रुपये देने का प्रावधान रखा गया है.
- राज्यों को 50 साल के लिए 12,000 करोड़ रुपये का कर्ज मंजूर.
- इस कर्ज पर कोई ब्याज नहीं लिया जाएगा.
- पूंजीगत व्यय बढ़ाने के लिए सरकार ने उठाया यह कदम.
- नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों को 1600 करोड़ रुपये मिलेंगे.
- उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के लिए 900 करोड़ रुपये दिए जाएंगे.
- 7500 करोड़ रुपये का कर्ज शेष राज्यों में वितरित किया जाएगा.
- 7500 करोड़ रुपये का आधा हिस्सा शुरूआत में दिया जाएगा.
- शेष राशि का वितरण पहली राशि खर्च होने के बाद किया जाएगा.
- 2000 करोड़ रुपये राज्यों को अतिरिक्त दिए जाएंगे.
- अच्छे बदलाव करने वाले राज्यों को यह अतिरिक्त राशि दी जाएगी.
- 31 मार्च, 2021 से पहले कर्ज का यह पैसा खर्च करना होगा.
- यह कर्ज राज्यों को कर्ज लेने की लिमिट से अलग है.
- 50 साल के बाद करना होगा कर्ज का भुगतान.
2,000 करोड़ के लिए शर्त
आत्मनिर्भर पैकेज के लिए सरकार ने एफआरबीएम एक्ट के अनुसार 3 फीसदी राशि का राज्यों के लिए प्रावधान है. इसके ऊपर भी दो फीसदी खर्च करने की सुविधा दी गई थी. इस योजना की 4 शर्तों में से तीन शर्तों को पूरा करने वाले राज्य को उनको 2000 करोड़ रुपये अतिरिक्त दिए जाएंगे.
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कहां होगा यह पैसा खर्च
राज्य सरकार किसी भी नए प्रोजेक्ट के ऊपर या वर्तमान प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए कर्ज की इस राशि को खर्च कर सकती है. इससे ठेकेदारों के बिलों का भुगतान किया जा सकता है. सप्लायर का भुगतान किया जा सकता है.
केंद्र के पूंजीगत खर्चों में भी इजाफा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि राज्यों की तरह केंद्र के पूंजीगत व्यय बढ़ाने का फैसला किया गया है. केंद्र के पूंजीगत व्यय में 25,000 करोड़ रुपये का इजाफा किया गया है. इस 25000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त पूंजीगत व्यय को सड़क निर्माण, जलापूर्ति व्यवस्था, रक्षा के बुनियादी ढांचों को विकसित करने, शहरी विकास के लिए, भारत में बने पूंजीगत उपकरण (Capital Equipment) पर खर्च किया जाएगा.
04:17 PM IST